के कूं च्याला, निर्बूधि राजक काथे काथ

A Space for Kumaoni Stories and Way of Life

Tuesday, October 6, 2009

कुमाउनी कहानी २

एक गौं में एक काण रुनेर भय और एक कुकड़. गौं में क्वे उनर नाम नि जा्णनेर भाय. सब ओ काणा या ओ कुकडा कै बेर बात करनेर भाय. एक दिन काणल कुकड़ हूँ कोय, 'यार हमरी ले के जिंदगी नि भे. काणा, कुकडा ये सुणण भे हर बक्त.'
'ठीक बात कुणछा यार, बिलकुल भल नि लागन काणा, कुकडा सुणण हर बखत'
'मै तो सोचण रयुं की कें दूर न्हे जूं. पे के करूँ काण भय, ठीक के देखी नि सक्नेर भय'
'इच्छा तो मेरी ले ये छि, लेकिन मै ले कुकडा वील परेशान भय. हिटी नि सक्नेर भय'
'म्यार दिमाग में एक बात अई रे', काणल कोय, 'किले ने हम द्वि जाणी दगडे हिटू. एक काम करुल - तू देख सक्नेर भये, तू म्यार कानी में बैठ जाये और मिकें बाट बतेये. हिटण काम म्यार रोय.'
कुकड़ल कोय 'त बात ठीक छु, यां बे कैन दूर न्हे जूळ.'

और एक दिन काण और कुकुड़ बाट लाग गाय.
जाते जाते एक शहराक नजदीक पहुँच गाय. नजदीकै एक धार भय और धार पर काण और कुकुड़ पाणि पिंहे न्हे गाय. धार पर एक काव लै पाणि पिंहे आई भय, काव सिद्द राजा महल बै उंण लाग रोय राणीक हार उठे बेर. हार धारा माथ बे धरी बेर पाणि पिणय. वील काण और कुकुड़ कें उन देखो तो हार वें छोड़ बेर उडी गोय.
पाणी पीते पीते कुकुड़कि नजर हार पर पड़ी. वील काण थें कोय
'यार, धारा माथ बे एक हार पड़ी छु'
'कोस हार छु?' काणल पूछ.
'कीमती देखिणो, सुनक छु और हीर जवाहरात ले लागी छन'.
'के करण चें पे?' काणल कोय.
'मिके त के अंदाज नि उनय'.
'यार आब हमुंकू देखि रो, तो हमुल धर लीन्ह चें. गाव में पेरणी चीज़ छु. यस करनू तो हाराका द्वि हिस्स कर लिन्हू. एक हिस्स तू पैर ल्हे, एक कं मी पैर ल्युल्ह'. काणल सुझाय.
'ठीक छु पे, तसे करनु.'
कुकडल हारा द्वि हिस्स करी. एक वील काणा गावम खिति दी और एक हिस्स आफी पैर ल्ही. फिर अघिल बाट लाग गाय.

उथां राजा महल में हल्ल है रोय कि राणिक हार हरे गो. राजल सिपाई दोडे राख - हार चोर कं पकड़णा लिजी. काण और कुकड़ ले आपुण मस्त है बाट लाग राइ - हार गाव में पैर राख. एक जाग पर राजा द्वि सिपाई देखि गाय. द्विये घव्डान में सवार भाय और हाथां में बन्दूक भै. कुकड़ल सोच कि आब मरी गोयुं. द्विये सिपाय्निल पोजीशन ल्ही हाली - एक मली ठाड़ है गोय एक तली कै ठाड़ है गोय. काणल कोय, 'के बात ने, जस्से उं गोई चलाला तू म्यार ख्वार में कट्ट कै मार दिए और मैं झुप्प बैठ जूँल'. कुकड़ल उसे कर. जस्से सिपाय्निल गोई चलाई, कुकड़ल कट्ट कै काणाक ख्वार में ठोकी दी. काण झुप्प कै बैठ गोई. मली ठाड़ सिपाई गोली तली वालें कं लागी और तली वालेक गोई मली वाले कं लागी. द्विये सिपाई ठण्ड है गाय.
'यार, यों द्विये ठण्ड है गयीं'. कुकड़ल काण थें कोय
'तो ठीक भो' काणल कोय.
'यनर के करी जाओ?'
'यस करनू, यनरी वर्दी उतार बेर पैर लिन्हू. एक एक बन्दूक ले धरी लिन्हू. घव्डान कं ले ल्हिजानु. एक में तू बैठ जा और एक में मीके बैठे दे'. काणल कोय.
कुकड़ल उसे कर. अघिल जै बेर ऊँ एक उड्यार में आराम करण लाग गाय. काणल कुकड़ हूँ कोय, 'यार खाणक के इंतजाम हूँ?'
कुकड़ल कोय, 'देखनु पै'.
कुकड़ उड्यारक भैर ऐ बेर खाणा बाराम सोचण लाग. सोचते सोचते कुकड़क दिमाग में जलन मची गे. वील सोच, यार हार ले मील देख, सिपाई गोई चलुणी यो ले मील बताय, और यो काण हर चीज़ में आदु हिस्स ल्ही ल्हिणो. येक के इंतजाम करण पडोलो.

कुकड़क नजदीक पर एक स्याप देख. वील चट्ट उ स्याप मारि ल्ही और वी शिकार पके दी और कानाक थाईम धर दी. काणल जब खाण शुरू करो तो स्यापक शिकारा टुकुड चिफाव लाग. वील पुछ, 'यार त्वील के पके राखो, बड चिफव लाग्णों?' कुकड़क कोय, 'गडेरी साग छु, ये वील चिफव लागाणो. खे ल्हे.' काणक मन में सक है गोय. वील एक नानू नॉन टुकुड दातोंल तोड़ और उ समझ गोय की यो गडेरीक साग न्हें. बल्कि यो के चीजक सिकार छु. उकों आयो गुस्स और वील एक लात कुकडाक पूठ में मारि. 'साला के खावा रे यो?' कुकडाक पूठ में लातकी पीड है रई. मुणी पीड ठीक भयि तो उ ठाड़ भोय और चांछियो तो उ तोर तोर ठाड़ है रोय. काणक लातल वी कूबड़ ठीक है गोय. उथां काणक एक टुकुड स्यापोक सिकार खाईल आंखांक ज्योत वापिस ऐ गे.

द्विनूलै एक दुहरे कूँ अंग्वाव हाली और गों हूँ वापिस अई गाय. द्विये घव्डान में सवार भाय. हाथां में बन्दूक लै भई और गावन हार भाय. कुकुडक पूठ लै ठीक भय और काण लै देखि सक्नेर भय. ऊ दिना बाद गों में कैले उनुहूँ ओ काणा या ओ कुकडा नी कोय.

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